जिद के आगे बदलने पड़ गए बोर्ड को नियम



मां ने पढ़ने की ठानी आखिर बोर्ड को बदलने पड़े नियम

एक माँ अपने बच्चों का होमवर्क नहीं करा पाती थीं तो उन्होंने ठान ली और जाने लगी स्कूल पढ़ने; अब बेटा-बेटी के साथ जाती हैं स्कूल। ये कहानी रफिया खातून की है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायुपर के मां बंजारी गुरुकुल विद्यालय में 12वीं की पढ़ाई कर रही हैं। उसी स्कूल में उनका बेटा आसिफ 11वीं और बेटी शाहीन 9वीं की छात्रा है।

वैसे भी पढ़ाई की कोई उम्र भी नहीं होती है।
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