मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली का सोमवार को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 77 साल के थे। यूं तो उनकी यादगार गज़लों और शायरी की लंबी फेहरिस्त है, पर 'कभी किसी को मुक़म्मल जहां नहीं मिलता', 'होश वालों को खबर क्या' और 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है' काफी ऊपर आएंगी। जिंदगी की पेचीदगियों को सहज तरीके से सामने रखने वाली ये गज़लें निदा साहब की ही हैं। ये भी संयोग है कि निदा साहब की कई गजलों को आवाज जगजीत सिंह ने दी और जिस दिन निदा फाजली ने आखिरी सांस ली, उसी दिन यानी 8 फरवरी को जगजीत सिंह की जयंती भी थी।
निदाने ये शेर पाकिस्तान के मुशायरे में पढ़ा तो गुस्साए श्रोताओं ने पूछा कि बच्चे मस्जिद से बड़े कैसे हो सकते हैं? निदा साहब का जवाब था- 'मस्जिदइंसानों के हाथों से बनती हैै, जबकि बच्चों को तो खुदा बनाता है!'

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